58th Jnanpith Awards 2023: 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है। साल 2023 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार 2 लोगों को मिल रहा है। जिसमे मशहूर गीतकार, शायर और उर्दू के साहित्यकार गुलज़ार और तुलसी पीठ के संस्थापक, संस्कृत के विद्वान रामभद्राचार्य का नाम चयन किया गया है।
आपके जानकारी के लिए बता दे की गुलजार वर्त्तमान समय के बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार है। इससे पहले उनको उर्दू मैं अपने काम के लिए 2002 मैं साहित्य अकादमी पुरस्कार, साल 2004 मैं पद्म भूषण, साल 2013 मैं दादा साहब फाल्के पुरस्कार और तीन फिल्मो के लिए उनको अलग-अलग कामो के लिए 5 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया जा चूका है। अगर उनकी चर्चित रचनाएँ की बात करे तो उसमे रात पश्मीने की, एक बूंद चांद, पंद्रह पांच पचहत्तर और चौरस रात शामिल है।
चलिए विस्तार से जानते है गुलजार और रामभद्राचार्य के बारे मैं। इसके साथ हम यह भी जानने वाले है की ज्ञानपीठ पुरस्कार क्यों और किस लिए दिया जाता है।
58th Jnanpith Awards 2023 किसे मिलने वाला है?
58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार 2023 के लिए दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों का नाम शामिल किया है जिसमे संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलज़ार का नाम चुना गया है।
गुलजार जी अपने उर्दू रचनाएँ के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इससे पहले भी उनको कई अवार्ड्स मिल चूका है। वही, जगद्गुरु रामभद्राचार्य, पूर्वाश्रम नाम गिरिधर मिश्र चित्रकूट में रहने वाले एक प्रख्यात विद्वान्, शिक्षाविद्, बहुभाषाविद्, रचनाकार, प्रवचनकार, दार्शनिक और हिन्दू धर्मगुरु हैं।
गुलज़ार कौन है?
हिन्दी फिल्मों के प्रसिद्ध गीतकार गुलजार का जन्म भारत के झेलम जिले पंजाब के दीना गांव मैं 18 अगस्त 1936 को हुआ था जो की अब पाकिस्तान मैं आता है। गुलज़ार अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं। गुलज़ार प्रसिद्ध गीतकार के अलावा एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर भी हैं।
गुलज़ार को इससे पहले भी उनके कई कामो के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (2002), पद्म भूषण अवार्ड (2004), दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2013) और 2009 मैं फिल्म Slumdog Millionaire में उनके द्वारा लिखे गीत जय हो के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ गीत का ऑस्कर पुरस्कार मिल चुका है। इसी गीत के लिये उन्हें ग्रैमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। अब 58th Jnanpith Awards 2023 के लिए गुलजार का नाम शामिल किया गया है।
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जगद्गुरु रामभद्राचार्य कौन है?
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का जन्म मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को ब्राह्मण परिवार, शांति खुर्द गांव, जौनपुर जिला उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनके बचपन का नाम गिरिधर रखा गया था। जब वह 2 महीने के थे तब उनका आँखों की रोशनी चली गई। उनके आंखों में ट्रेकोमा नाम की बीमारी हुआ था और उस समय गांव मैं अच्छी इलाज की व्यवस्था न होने के कारण उनके आँखों का इलाज नहीं हो पाया और तब से वह इस दुनिया को अपने आंख से नहीं देख पाए।
आपके जानकारी के लिए बता दे की गिरिधर यानि जगद्गुरु रामभद्राचार्य जब 5 साल के थे तभी उन्होंने भगवत गीता को पूरा याद कर लिया जिसमें अध्याय और श्लोक संख्या के साथ कम से कम 700 श्लोक थे। फिर जब वह 7 साल के हुए तो उन्होंने 60 दिन के अंदर पूरे रामचरितमानस को भी याद कर लिया।
जब अयोधा मैं राम मंदिर बनने का फैसला आया था तब स्वामी रामभद्राचार्य ने अयोध्या में राम मंदिर होने की 437 प्रमाण कोर्ट को दिए थे और उनके उस गवाह ने यह सिद्ध किया था की जहा पर बाबरी मस्जिद था वहां पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। 58th Jnanpith Awards 2023 के लिए जगद्गुरु रामभद्राचार्य का भी नाम शामिल किया गया।
ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे मैं
ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत 1961 में शुरू हुआ था। भारत की भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए इस पुरुस्कार को दिया जाता है। जिसमे पुरस्कार के तौर पर 11 लाख रुपये की धनराशि, प्रशस्ति पत्र और ये कांस्य प्रतिमा दी जाती है। आप ज्ञानपीठ पुरस्कार की तस्वीर नीचे देख सकते है। ज्ञानपीठ भाषा के क्षेत्र में सम्मानित पुरस्कारों में से एक है। साल 2023 के 58th Jnanpith Awards 2023 मैं उर्दू के साहित्यकार गुलज़ार और तुलसी पीठ के संस्थापक, संस्कृत के विद्वान रामभद्राचार्य को चुना गया है।
FAQs
58th Jnanpith Awards 2023 किसको दिया जाएगा?
58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार उर्दू के साहित्यकार गुलज़ार और तुलसी पीठ के संस्थापक, संस्कृत के विद्वान रामभद्राचार्य को दिया जाएगा।
ज्ञानपीठ पुरस्कार किस लिए दिया जाता है?
भारत की भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए ज्ञानपीठ पुरुस्कार को दिया जाता है।
ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत कब हुई?
ज्ञानपीठ पुरस्कार की शुरुआत 1961 में शुरू हुआ था।
सबसे पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार किसको मिला था?
प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था।
ज्ञानपीठ पुरस्कार मैं कितनी धनराशि दी जाती है?
इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले व्यक्ति को 11 लाख रुपये की धनराशि दी जाती है।
आशा करता हूँ की आपको 58th Jnanpith Awards 2023 लेख पसंद आया होगा और आपको ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे मैं बहुत कुछ जानने को मिला होगा। आर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है। ऐसे ही जानकारी के लिए आप हमारे टेलीग्राम चैनल के साथ जुड़े।
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