Makar Sankranti (मकर संक्रांति): क्या आपके मन मैं कभी यह सवाल आया है की मकर संक्रांति कब मनाया जाता है? मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? मकर संक्रांति मनाने के पीछे क्या कारण है? यदि आ तो आज हम इस खबर मैं मकर संक्रांति से जुड़ी जभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे मैं जानने वाले है।
मकर संक्रांति, जिसे उत्तरायण, मकर या केवल संक्रांति भी कहा जाता है जो की हिन्दू के लिए यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा का विधान है। जातक इस दिन पर सूर्यदेव की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। इसके अलावा यह दिन वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई का प्रतीक भी माना जाता है। इस शुभ दिन पर लोग गंगा यमुना नर्मदा और शिप्रा नदी में पवित्र स्नान भी करते हैं।
चलिए विस्तार से Makar Sankranti के बारे मैं जानते है। यह भी जानने की कोशिश करंगे की आखिर यह पर्व क्यों मनाया जाता है।
मकर संक्रांति कब मनाते है?
आमतौर पर प्रतिवर्ष 14 जनवरी की तारीख को मकर संक्रांति मनाया जाता है। लेकिन, कभी-कभी यह 15 जनवरी को भी मनाया जाता है। यदि आपको इसकी तिथि पता करना है तो आप किसी अच्छे पुजारी से संपर्क कर सकते है वह आपको Makar Sankranti की तिथि के बारे मैं बता देंगे। नहीं तो आप कैलेंडर मैं दी गई तारीख यानि 14 जनवरी को मकर संक्रांति मना सकते है।
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मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है?
Makar Sankranti क्यों मनाया जाता है। यह जानने के लिए हमें इसके इतिहास के बारे मैं जानना होगा। धार्मिक मान्यताओं मैं ऐसा माना जाता है की महाभारत और पुराण दोनों मैं मकर संक्रांति पर्व का उल्लेख किया गया है। इस त्योहार की शुरुआत करने का श्रेय वैदिक ऋषि विश्वामित्र को दिया जाता है। महाभारत मैं ऐसा उल्लेख किया गया है की वनवास के दौरान पांडवों ने Makar Sankranti मनाई थी।
इस दिन को लेकर कई मनो धारणा भी है। क्योकि ऐसा भी कहा जाता है की इस दिन कपिल मुनि पर भगवान इंद्र के घोड़े चोरी करने का झूठा आरोप लगा दिया गया था। जिसके कारण वह ऋषि क्रोधित होकर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को भस्म होने का श्राप दे दिया। जब उन्होंने अपने किए गए उस कार्य के लिए झमा मांगी, तब जाकर कपिल मुनि का गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने कहा की अगर तुम इस श्राप को खत्म करना चाहते है तो तुम्हे के काम करना होगा।
उन्होंने उपाय बताते हुए कहा की वे देवी गंगा को पृथ्वी पर किसी भी तरह लेकर आएं। इसके बाद राजा सगर के पोते अंशुमान और राजा भगीरथ ने देवी गंगा के दर्शन के लिए कड़ी तपस्या की और गंगा माँ प्रसन्न होकर उनके सामने प्रकट हुईं।
मान्यताओं अनुसार, जब राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी, तभी से मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इसलिए यह कथिक तौर पर नहीं कहां जा सकता है की Makar Sankranti क्यों मनाते है। अगर आप Makar Sankranti से जुड़ी और जानकारी लेना चाहते है तो आप Wikipedia पर इसके बारे मैं पढ़ सकते है।
मकर संक्रांति पर 10 लाइन?
- मकर संक्रांति, एक हिंदू त्योहार, सूर्य के मकर राशि (मकर) राशि में संक्रमण का प्रतीक है।
- मकर संक्रांति, जिसे उत्तरायण, मकर या केवल संक्रांति भी कहा जाता है।
- इस त्योहार की शुरुआत करने का श्रेय वैदिक ऋषि विश्वामित्र को दिया जाता है।
- यह पूरे भारत में बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
- यह त्यौहार शीतकालीन संक्रांति के अंत और लंबे, गर्म दिनों की शुरुआत का प्रतीक है।
- लोग रंग-बिरंगी पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं, जो अंधकार के अंत और प्रकाश के आगमन का प्रतीक है।
- तिलगुल (तिल और गुड़ की मिठाइयाँ) जैसे विशेष व्यंजन तैयार किए जाते हैं और सद्भावना के संकेत के रूप में आदान-प्रदान किए जाते हैं।
- भक्त स्वयं को पापों से मुक्त करने के लिए गंगा जैसी पवित्र नदियों में अनुष्ठानिक स्नान करते हैं।
- मकर संक्रांति का सांस्कृतिक महत्व भी है, जो पूरे भारत में उत्सव शैलियों और अनुष्ठानों में क्षेत्रीय विविधता को प्रदर्शित करता है।
- यह त्योहार नई शुरुआत, फसलों की कटाई और समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा देने के समय का प्रतीक है।
आशा करता हूँ की आपको मकर संक्रांति पर आधारित दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। ऐसे ही जानकारी के लिए हमारे साइट के साथ जुड़े रहे।
Disclaimer: इस लेख मैं मकर संक्रांति क्यों मनाते है के बारे मैं कोई सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। यह जानकारी अलग-अलग स्रोत से ली गई यही। हमारा उद्देश्य महज आपको जानकारी देना था। इसलिए उपयोगकर्ता इसे महज जानकारी समझकर ही लें।