Artificial Rain Kya Hota Hai in Hindi: क्या आपको पता है आर्टिफिशल रेन या कृत्रिम वर्षा क्या होता है? कैसे काम करता है ये? क्या कृत्रिम वर्षा से प्रदूषण कम हो जाता है? आज आपको यहाँ पर आर्टिफिशल रेन से जुड़ी सभी जानकारी जानने को मिलेगी।
यदि आप अभी दिल्ली मैं रहते है तो आर्टिफिशल रेन के बारे मैं सुना ही होगा। दिल्ली सरकार बढ़ते हुए वायु प्रदूषण को कम करने के लिए क्लाउड सीडिंग के माध्यम से कृत्रिम बारिश कराने पर विचार कर रही है। चलिए विस्तार से जानते है इसके बारे मैं।
Cloud क्या होता है?
आर्टिफिशल रेन को समझने से पहले यह समझाना जरुरी है की क्लाउड यानि बादल क्या होता है। जैसा हमसब जानते है की तीन तरह का स्टेट होता है सॉलिड, लिक्विड और गैस। यदि हम पानी की बात करे तो इसमें तीन स्टेट होता ICE (Solid), Water (Liquid) और Vapor(Gas) है।
जब स्टेट का परिवर्तन होता है उसे एक नाम दिया जाता है। जैसे जब बर्फ से पानी लिक्विड यानि पानी बनता है तो उसे मेल्टिंग (Melting) कहते है। फिर जब दुबारा पानी से बर्फ बनता है तो उसे फ्रीजिंग (Freezing) कहते है। वही, जब पानी भाप मैं बदल जाता है तो उसे वाष्पीकरण (Evaporation) कहते है। फिर सब भाप दुबारा पानी मैं बदलता है तो उसे Condensation कहते है।
दरअसल, अब होता यह है की वायु मैं वाटर वेपर मौजूद है। जब यह Water Vapor ऊपर जाता है और Higher Altitude पर मौजूद होता है तो ठंड की वजह से कंडेंसशन होता है और यह वाटर वेपर पानी मैं बदल जाता है। यह बहुत ही छोटे-छोटे वाटर ड्रॉपलेट (Water Droplet) मैं होता है, जिसे जमीन पर देखने से बदल नजर आता है। इसे ही क्लाउड कहते है।
क्या है Artificial Rain?
Artificial Rain जिसे क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) भी कहा जाता है। यह एक ऐसा प्रोसेस है जिसमे आसमान मैं उन बादलों को सिलेक्ट किया जाता है जिनमें पहले से कुछ नमी मौजूद होती है। विमान या हेलीकॉप्टर के माध्यम से उन बादलों पर सिल्वर आयोडाइड, कॉमन सॉल्ट, ड्राइ आइस या इसकी जैसी चीजें डाली जाती हैं। जिसके कारण उसमे मौजूद नमी एक साथ जमा हो जाती है, और बारिश होती है।
क्लाउड सीडिंग करने के भी दो तरीके है जिसमे कोल्ड क्लाउड सीडिंग और वॉर्म क्लाउड सीडिंग शामिल है।
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Artificial Rain कैसे काम करता है?
कृत्रिम वर्षा या आर्टिफिशल रेन को क्लाउड सीडिंग प्रोसेस के द्वारा किया जाता है जो की दो शब्द क्लाउड और सीडिंग से बना है। जिसमे क्लाउड का अर्थ होता है बादल और सीडिंग का बीज बोना।
यहाँ पर बीज बोने का मतलब सिल्वर आयोडाइड, पोटैसियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों का उपयोग किया जाना है। इन केमिकल को एयरक्राफ्ट के द्वारा बादलो पर छिड़का जाता है जो Condensation प्रोसेस को बड़ा देता है यानि यह पानी के कण को जल्दी से बर्फ मैं बदल देता है और जब बर्फ का वजन ज्यादा होने लगता है तो छोटे-छोटे टुकड़ो मैं वर्फ नीचे गिरने लगता है।
फिर जब जमीन का वातावरण ठंडा होगा तो यह स्नोफॉल के रूप मैं गिरता है और जब गर्म होगा तो यह पानी के रूप मैं गिरता है। इस तरह क्लाउड सीडिंग का उपयोग करके आर्टिफिशल रेन किया जाता है।
क्यों पड़ती है Artificial Rain की जरूरत?
आर्टिफिशल रेन की जरुरत वैसे जगहों पर किया जाता है जहाँ सूखा या बाढ़ की स्थिति हो। इसके अलावा इसका उपयोग प्रदूषण नियंत्रण, और जंगल मैं आग लगने पर किया जाता है।
आज के समय कई देश इसका उपयोग कर रहे है जैसे संयुक्त अरब अमीरात, भारत, चीन जैसे शहर मैं इसका उपयोग किया गया है।
क्या Artificial Rain से प्रदूषण कम किया जा सकता है?
चीन ने साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक्स के दौरान एयरक्राफ्ट और ग्राउंड बेस्ड गन की मदद से क्लाउड सीडिंग करके आर्टिफिशल रेन कराया था, जिससे प्रदूषण को बहुत हद तक कम किया गया था, तो यह कहा जा सकता है की Artificial Rain से प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
अगर भारत की बात करे तो इससे पहले इसका उपयोग प्रदूषण को कम करने के लिए नहीं किया गया था। पहली बार इसका प्रयोग दिल्ली मैं प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाएगा।
भारत मैं क्लाउड सीडिंग का उपयोग सबसे पहली बार साल 1984 में तमिलनाडु सरकार द्वारा किया गया था। जब भयंकर सूखे का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद तत्कालीन तमिलनाडु सरकार ने 1984-87,1993-94 के बीच क्लाउड सीडिंग तकनीक का उपयोग किया था।
इसके बाद साल 2003 और 2004 में कर्नाटक सरकार ने भी क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया और उसी साल महाराष्ट्र सरकार ने भी इसका प्रयोग किया।
आपको क्या लगता है दिल्ली मैं इसका प्रयोग करके प्रदूषण को काम किया जा सकता है, अपना जवाब कमेंट करके बताए। ऐसी ही जानकारी के लिए हमारे साइट के साथ जुड़े रहे।